प्रोफेसर कमलेश कुमार के फेसबुक पेज की तस्वीर

प्रोलिंगो न्यूज़ :
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भाषा विभाग के प्रोफेसर को 
विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक माह में तीन बार अंग्रेजी में नोटिस भेजा। तीसरी बार जब नोटिस फिर अंग्रेजी में मिला तो उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन की "अंग्रेजी—परस्ती" का खुलकर विरोध किया। उन्होंने घोषणा कर दी कि जब तक नोटिस हिंदी भाषा में नहीं मिलेगा, वह कोई जवाब नहीं देंगे। अंत में विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस हिंदी में भेजना पड़ा।

विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने बताया कि वह हिंदी के शिक्षक हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि ​हमारी राजभाषा हिंदी है। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा में ही पत्राचार होना चाहिए। ऐसा होता भी रहा है। इसकी परंपरा है। अंग्रेजी में भेजे गए नोटिस का जवाब उन्होंने इसीलिए नहीं दिया। प्रोफेसर कमलेश गुप्ता कहते हैं कि हिंदी को बढ़ावा हम नहीं देंगे तो कौन देगा? हमें हिंदी को अपने व्यवहार में उतारना पड़ेगा। 

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को लेकर प्रो. कमलेश गुप्ता ने गत दिनों सोशल मीडिया पर 'अपनी बात' शीर्षक वाले पोस्ट के माध्यम से असहमति व्यक्त की। माना जा रहा है कि उन टिप्पणियों के संबंध में ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भेजा है। चार और शिक्षकों को नोटिस भेजा गया है। प्रो. गुप्ता ने नोटिस की भाषा अंग्रेजी होने पर विरोध प्रकट किया। चौथा नोटिस हिंदी में​ मिलने पर उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया है। 

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