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Tracing the Path of Professional Translation: A Journey through History and Evolution

स्वाधीनता संग्राम के सबसे बड़े कथाकार हैं प्रेमचंद

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती पर विशेष  डॉ. सुनीता यादव धनपत राय श्रीवास्तव मुंशी प्रेमचंद नाम से…

लाइसेंस राज खत्म, लेकिन अनुमति राज अब भी कायम

1991 के 30 साल, उदारीकरण 2.0 की जरूरत आलेख | शंकर अय्यर 20 जून 1991। भारत के राजनीतिक परिदृश्य का ए…

बच्चों की जुबां पर हमेशा के लिए नई अक्षरमाला लिखकर जाएगा कोविड—19

धारा प्रवाह संवाद  में बड़ी बाधाएं हैं  फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग  को विड -19 महामारी ने नए शब्…

जयंती पर विशेष | वह 'आवारा मसीहा' जो ‘सत्ता के आर-पार’ देख सकता था

अपने साहित्य में भारतीय वाग्मिता और अस्मिता को व्यंजित करने के लिये प्रसिद्ध रहे श्री विष्णु प्रभा…

देश और भाषा की सीमा तोड़ता है डॉ. विश्वनाथ प्रसाद का रचनाकर्म

आलेख | डॉ॰ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के जन्मदिन पर विशेष डॉ॰ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (जन्म 20 जून 1940)…

भाषाई हथियार से तिब्बत को हथियाने में जुटा चीन, दो—भाषी शिक्षा नीति को बनाया जरिया

साम्राज्य का विस्तार कैसे होता है? शक्ति से, बंदूक से, दमन से, फौज से? औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रि…

उमड़ते मेघों की छवि लिये मन के पटल पर तैरता है शब्द मॉसिम, मिन्सिन, मौस्सोन या हमारा मानसून

प्रोलिंगो न्यूज डेस्क: 'जेठ' में जब धरती सूरज की तपिश से जल रही होती है, तो जुबां पर बस एक …

जब भाषाई अधिकारों की अवहेलना हो तो मानवाधिकार की बात भी बेमानी

आलेख | पड़ताल   जगदीश लाल | वरिष्ठ पत्रकार ह मारे समय का एक बहुत ही चलताऊ जुमला है- अंग्रेज़ चले ग…

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