ऑरेंज इकनॉमी क्या है? जानिए रचनात्मक अर्थव्यवस्था, इसके क्षेत्र, भारत के लिए महत्व और वेव्स समिट 2024 के बारे में। संस्कृति, रोजगार और नवाचार के संगम से जुड़ी पूरी जानकारी!
What the Orange Economy is: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वेव्स वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट 2024 के उद्घाटन सत्र में "ऑरेंज इकोनॉमी" शब्द पर विशेष जोर देना इस उभरती हुई आर्थिक अवधारणा के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। "आओ, हमारे साथ चलो" के नारे के साथ आयोजित यह शिखर सम्मेलन रचनात्मक उद्योगों के वैश्विक विकास पर केंद्रित था, और इसने भारत सहित दुनिया भर के नीति निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया है। इस आयोजन के बाद एक शब्द तेजी से चर्चा में आया है — ऑरेंज इकोनॉमी। यह शब्द दरअसल रचनात्मक अर्थव्यवस्था (Creative Economy) का पर्याय बन गया है। डिजिटल दुनिया में, आर्थिक गतिविधियों का एक ऐसा समूह जो रचनात्मकता, सांस्कृतिक विरासत और बौद्धिक संपदा (Intellectual Property - IP) के संयोजन से धन और रोजगार का सृजन कर रहा है। 'ऑरेंज इकोनॉमी' शब्द इसी अर्थव्यवस्था का बहुस्वीकृत नाम हो चला है। यह पारंपरिक औद्योगिक मॉडल से एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें "विचारों" और "सांस्कृतिक संपत्तियों" को आर्थिक मूल्य में परिवर्तित करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
कैसे हुई इस शब्द की उत्पत्ति
ऑरेंज इकोनॉमी की अवधारणा को पहली बार कोलंबिया के पूर्व राष्ट्रपति इवान ड्यूक मार्केज और पूर्व संस्कृति मंत्री फेलिप बुइट्रैगो द्वारा प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने रचनात्मक और सांस्कृतिक उद्योगों की आर्थिक क्षमता को उजागर करने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया।
ऑरेंज रंग का चुनाव जानबूझकर किया गया था। यह रंग रचनात्मकता, उत्साह, ऊर्जा, विविधता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतीक है। कोलंबिया में, नारंगी रंग सामाजिक समरसता और कलात्मक अभिव्यक्ति से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस रंग का उपयोग इस आर्थिक अवधारणा की जीवंतता और बहुआयामी प्रकृति को दर्शाता है।
ऑरेंज इकोनॉमी की कुछ प्रमुख विशेषताएं इसे पारंपरिक अर्थव्यवस्था से अलग करती हैं:
रोजगार सृजन की अपार क्षमता: यह क्षेत्र विशेष रूप से युवाओं और कलाकारों के लिए नए और आकर्षक रोजगार के अवसर पैदा करता है। रचनात्मक उद्योगों में प्रवेश के लिए अक्सर विशिष्ट कौशल और प्रतिभा की आवश्यकता होती है, जो युवा पीढ़ी में प्रचुर मात्रा में मौजूद है।
सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन: ऑरेंज इकोनॉमी पारंपरिक कलाओं, शिल्प और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को आधुनिक बाजार से जोड़कर उनके संरक्षण और निरंतरता को सुनिश्चित करती है। यह न केवल सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि इन अनमोल विरासतों को आर्थिक अवसर में भी बदलता है।
नवाचार और तकनीकी समन्वय: यह अर्थव्यवस्था डिजिटल टेक्नोलॉजी और रचनात्मकता के संगम पर आधारित है। नवाचार इसके विकास का एक महत्वपूर्ण चालक है, और डिजिटल प्लेटफॉर्म नए विचारों को व्यक्त करने, वितरित करने और मुद्रीकृत करने के लिए अभूतपूर्व अवसर प्रदान करते हैं।
ऑरेंज इकोनॉमी में कई सारे क्षेत्रों का समावेश
ऑरेंज इकोनॉमी एक व्यापक अवधारणा है जिसमें रचनात्मकता को केंद्र में रखने वाले विभिन्न उद्योग शामिल हैं, जो कला से लेकर प्रौद्योगिकी तक फैले हुए हैं:
मनोरंजन उद्योग: फिल्म, संगीत, टेलीविजन, थिएटर, रेडियो, वीडियो गेम और ई-स्पोर्ट्स जैसे क्षेत्र मनोरंजन के माध्यम से महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान देते हैं और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
डिजाइन और फैशन: वस्त्र उद्योग, वास्तुकला, ग्राफिक डिजाइन, औद्योगिक डिजाइन, इंटीरियर डिजाइन और फैशन डिजाइन जैसे क्षेत्र सौंदर्यशास्त्र और कार्यात्मकता के माध्यम से मूल्य बनाते हैं।
डिजिटल मीडिया: ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म, एनीमेशन, वर्चुअल रियलिटी (VR), ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएशन जैसे क्षेत्र डिजिटल क्रांति के साथ तेजी से विकसित हो रहे हैं।
सांस्कृतिक उत्पाद: हस्तशिल्प, ललित कलाएँ, साहित्य, प्रकाशन, संग्रहालय, गैलरी, पुस्तकालय, पुरातात्विक स्थल और लोक कलाएँ सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधियों को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विज्ञापन और जनसंपर्क: रचनात्मक विचारों और संचार रणनीतियों के माध्यम से उत्पादों, सेवाओं और ब्रांडों को बढ़ावा देने वाले उद्योग।
रचनात्मक सेवाएं: अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और प्रशिक्षण जो रचनात्मक उद्योगों के विकास का समर्थन करते हैं।
ऑरेंज इकोनॉमी का एक वैश्विक केंद्र बनेगा भारत
भारत के पास ऑरेंज इकोनॉमी का एक वैश्विक केंद्र बनने की अद्वितीय क्षमता है। इसके कई कारण हैं:
युवा और गतिशील जनसंख्या: भारत में युवाओं की एक बड़ी आबादी है जो रचनात्मकता और नवाचार के लिए उत्सुक है। यह जनसांख्यिकीय लाभांश रचनात्मक उद्योगों के विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत: भारत एक ऐसी भूमि है जो विभिन्न कला रूपों, परंपराओं, शिल्पों और कहानियों से समृद्ध है। यह सांस्कृतिक विविधता ऑरेंज इकोनॉमी के विभिन्न क्षेत्रों के लिए अद्वितीय सामग्री और प्रेरणा प्रदान करती है।
सरकारी प्रोत्साहन: भारत सरकार ने 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' और 'इंक्लूसिव इंडिया' जैसे विभिन्न अभियानों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है, जो ऑरेंज इकोनॉमी के विकास के लिए अनुकूल माहौल तैयार करते हैं।
वेव्स समिट 2024 का महत्व: भारत में आयोजित वेव्स वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट 2024 भारतीय ऑडियो-विजुअल सेक्टर को एक वैश्विक मंच प्रदान करता है। यह आयोजन न केवल निवेश और रोजगार के नए अवसर खोलेगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा।
ऑरेंज इकोनॉमी केवल आर्थिक विकास का एक नया मॉडल नहीं है, बल्कि यह एक समावेशी और जीवंत समाज की नींव भी रख सकती है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वेव्स समिट में जोर दिया, भारत को इस क्षेत्र में नेतृत्व करने के लिए अपनी "सॉफ्ट पावर" - अपनी समृद्ध संस्कृति, विविध कला रूपों और तेजी से बढ़ते डिजिटल नवाचार - का पूरी तरह से उपयोग करना होगा। 2024 का वेव्स समिट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जो भारत को वैश्विक रचनात्मक अर्थव्यवस्था के मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखता है। ऑरेंज इकोनॉमी भारत की रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करने, आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने और एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भविष्य का निर्माण करने का एक सुनहरा अवसर है।
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