प्रोलिंगो न्यूज डेस्क : गुमानीराम कायस्थ ने 223 वर्ष पहले आईन—ए—अकबरी का फारसी से राजस्थानी में पहला अनुवाद किया था। इस अनुवाद की पांडुलिपि राजस्थानी शोध संस्थान चौपासानी में सुरक्षित है। जयपुर नरेश सवाई प्रताप सिंह के आदेश पर विद्वान गुनीराम कायस्थ ने अबुल फ़ज़ल द्वारा रचे गए ग्रंथ का अनुवाद किया था। गौरतलब है कि आईन—ए—अकबरी में अबुल फ़ज़ल ने सम्राट अकबर की शासन व्यवस्था, उसके विभिन्न विभाग, राजकोष, रत्नकोष, टकसाल व्यवस्था, विभिन्न पदाधिकारी, अकबर का सैन्य प्रशासन आदि बहुत कुछ दर्ज किया है।
जोधपुर स्थित मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट और चौपासानी शिक्षा समिति, जोधपुर की ओर से संचालित शोध संस्थान में करीब 18 हजार दुर्लभ ग्रंथ सुरक्षित हैं। इनमें प्राचीन जैन साहित्य, चारण साहित्य, राजस्थानी भाषा की सभी विधाओं में रचा गया साहित्य, ज्योतिष, शालिहोत्र एवं आयुर्वेद के प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ शामिल हैं।
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