प्रोलिंगो एडिटर्स डेस्क : जाने—माने साहित्यकार लक्ष्मीनंदन बोरा नहीं रहे। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता बोरा असम साहित्य सभा के अध्यक्ष रह चुके थे। उनके पहले उपन्यास ‘गंगा सिलोनिर पाखी’ का 11 भाषाओं में अनुवाद हुआ तथा 1976 में इस पर फिल्म भी बनी। उन्हें सरस्वती सम्मान और असम वैली लिटरेरी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। कोविड के बाद उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के चलते वे गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। पद्मश्री से सम्मानित बोरा के संक्रमित होने की पुष्टि 20 मई को हुई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वह कोविड-19 से उबर गए थे, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं से पीड़ित थे तथा उनका उपचार चल रहा था। 89 वर्षीय बोरा ने 60 से अधिक किताबें लिखीं। इनमें अधिकांश उपन्यास और लघु कहानियों के संकलन हैं। उनकी अंत्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।

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