जेएनयू में का बा? -  शीर्षक से उर्दू, पंजाबी, गुजराती और भोजपुरी भाषाओं में आने वाली है यही पुस्तक 


वेब रिपोर्टर :
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जब—तब अखबारी सुर्खियों में रहता है। कभी अपने कैंपस में कथित तौर पर देश विरोधी नारों के नाम पर तो कभी प्रगतिशील चिंतन और कैंपस की 'आज़ाद ख़याल' गतिविधियों को लेकर। जो लोग इन ख़बरों के आधार पर जेएनयू के बारे में कोई छवि निर्मित करते हैं, शायद वे उस शैक्षिक परिसर के बारे में पूर्वाग्रह का शिकार हो जाते हैं। सही मायनों में आखिर क्या है जेएनयू में?

यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके जवाब की तलाश जेएनयू में प्रवेश की चाहत रखने वाले छात्र से लेकर देश के एक सामान्य पढ़े—लिखे व्यक्ति तक को हो सकती है। इन जवाबों को समेटे हुए एक पुस्तक आई है — 'जेएनयू अनंत, जेएनयू कथा अनंता'। इसके लेखक जे सुशील हैं। जे सुशील ने इसी शीर्षक से 100 पोस्ट की एक सीरीज लिखी थी। इसका संकलन ही एक पुस्तक के रूप में आया है। पाठकों के लिए यह पुस्तक डिजिटल ऐप https://notnul.com पर उपलब्ध है। 

यह पुस्तक उन सभी लोगों को समर्पित है जिन्होंने उन पोस्टों के लिखे जाने के दौरान टिप्पणियों से उत्साह बढ़ाया था। यही कारण था कि बहत्तर घंटों में सौ से अधिक पोस्ट लिखे गए थे। ये सारे पोस्ट संपादित होने के बाद और एक लंबी भूमिका के साथ किताब का रूप ले पाए हैं। किताब का कवर हर्षित श्याम जायसवाल ने डिजाइन किया है। जो लोग यह सोच रहे हैं कि जेएनयू पर केंद्रित उन 100 पोस्ट के इतर क्या होगा तो पुस्तक में मी जे के दस नए इलस्ट्रेशन, दस हज़ार शब्दों की एक भूमिका और लेखक दुष्यंत की टिप्पणी है जो अपने आप में पढ़ने लायक है। इन सबसे इतर जरूरी बात यह है कि आने वाले हफ्तों में यह पुस्तक उर्दू, पंजाबी, गुजराती और भोजपुरी में भी पढ़ने को मिलेगी। इन भाषाओं में पुस्तक का शीर्षक होगा 'जेेनयू में का बा'।

(यह ख़बर जेएनयू चौपाल वाट्सएप समूह में साझा की गई जानकारी के आधार पर विकसित की गई है)

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