लेखक:विजय नगरकर 
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डॉ. एन. लक्ष्मी हिंदी साहित्य जगत की एक महत्वपूर्ण और विविध प्रतिभा हैं। अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से उन्होंने न केवल भाषाओं की सीमाओं को पार किया है, बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य को आम लोगों तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मूल रूप से तमिल भाषी होते हुए भी, उन्होंने हिंदी को न केवल अपनाया बल्कि इसे अपनी पहचान का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनाया।


डॉ. एन लक्ष्मी

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

डॉ. लक्ष्मी का जन्म 14 मई 1976 को कर्नाटक राज्य के कोप्पल जिले के मुनिराबाद नामक गाँव में हुआ, जो तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है। वे श्री नरसिंहन और श्रीमती वसंता की छठी संतान हैं। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ीं लक्ष्मी की प्रारंभिक शिक्षा कन्नड़ माध्यम में हुई। शुरुआत में उन्होंने विज्ञान विषय चुना, लेकिन बाद में उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य को अपनी शिक्षा का मुख्य विषय बनाया।

उनकी उच्च शिक्षा की यात्रा विवाह के बाद शुरू हुई और उन्होंने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। यह उनकी अटूट दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है, जिसने उन्हें व्यक्तिगत जिम्मेदारियों और शैक्षणिक रुचियों के बीच संतुलन बनाने में मदद की।

पेशेवर जीवन

वर्ष 2005 से 2011 तक, उन्होंने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास के उच्च शिक्षा और शोध संस्थान में अनुसंधान सहायक और प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। इसके बाद, 2011 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होने के बाद, उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया। वर्तमान में, वे महात्मा गांधी गवर्नमेंट कॉलेज, मध्योत्तर अंडमान में कार्यरत हैं।

साहित्यिक एवं अकादमिक योगदान

डॉ. लक्ष्मी की रचनात्मकता का क्षेत्र बहुत व्यापक है। उन्होंने मौलिक लेखन, अनुवाद, पाठ्यक्रम निर्माण, शोध और साहित्यिक चर्चाओं में उत्कृष्ट कार्य किया है।

प्रकाशित पुस्तकें:

  1. शून्य से लौटा हूँ – कविता संग्रह
  2. कथाभाषा और काव्यभाषा का समाज भाषिक संदर्भ – शोध आधारित
  3. अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की भाषाएं – अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद (मुख्य संपादक: जी.एन. डेवी)
  4. यायावर पंछी का गीत – कन्नड़ से अनूदित उपन्यास
  5. 21वीं सदी के हिंदी साहित्य में दलित विमर्श – सह-संपादन
  6. 21वीं सदी के हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श – सह-संपादन
  7. गोपिकोन्माद – कन्नड़ से अनूदित खंडकाव्य
  8. करुण पुकार तथा अन्य कहानियां – कन्नड़ से चयनित कहानियों का अनुवाद

पाठ्य-पुस्तक निर्माण: उन्होंने मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान आदि के लिए बीए और एमए स्तर की पाठ्य सामग्री तैयार की है।

अनुवाद कार्य: डॉ. लक्ष्मी ने "पश्चिम बंगाल की भाषाएँ" (भारतीय भाषा सर्वेक्षण) का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया है। इसके अलावा, उन्होंने कलाक्षेत्र, चेन्नई और तमिलनाडु पर्यटन विभाग की वेबसाइट का भी अनुवाद किया है। उन्होंने "पवन" पत्रिका के तीन अंकों का भी अनुवाद किया है।

जनसंपर्क एवं मीडिया सहभागिता

उनकी सक्रिय भागीदारी दूरदर्शन पोर्ट ब्लेयर, श्री विजयपुरम और आकाशवाणी के विभिन्न कार्यक्रमों में साक्षात्कार, वार्ता, काव्य पाठ और संचालन के रूप में रही है। विशेष रूप से "घर-बाहर", "नवरात्रि पर्व", "नारी विमर्श" और "संविधान निर्माता डा. अंबेडकर" पर उनकी प्रस्तुतियाँ उल्लेखनीय हैं। उन्होंने एक तमिल टेलीफिल्म में अभिनय भी किया है।

सामाजिक योगदान

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, उन्होंने ग्रामीण लोगों को जागरूक करने के लिए 'नव्य दिशा संस्थान' के साथ मिलकर हिंदी और तमिल में 20 से अधिक ऑडियो संदेश बनाए। इसके अलावा, उन्होंने चेन्नई में गरीब लड़कियों को हिंदी सिखाने और एक टूथब्रश फैक्ट्री में कर्मचारियों को हिंदी सिखाने में भी योगदान दिया।

सम्मान और पुरस्कार

  • साहित्य सम्मेलन शताब्दी सम्मान (2019) – बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना
  • सूर्या अंतर्भारती भाषा सम्मान (2019) – उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ
  • विद्या सागर उपाधि (2016) – विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर
  • डॉ. बालशौरी रेड्डी स्मृति साहित्य सम्मान – अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद

आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत

डा. एन. लक्ष्मी वास्तव में एक समर्पित शिक्षिका, संवेदनशील कवयित्री, कुशल अनुवादक और सामाजिक रूप से जागरूक लेखिका हैं। उन्होंने अपनी बहुभाषिकता, विद्वता और रचनात्मकता के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं।

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लेखक संपर्क:—
अहिल्यानगर, महाराष्ट्र
vpnagarkar@gmail.com
मोबाइल नंबर-9422726400

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