वेब रिपोर्टर : भारतीय सिनेमा में हिंदी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी आदि भाषाओं ने अपनी—अपनी जगह बनाई, लेकिन दूसरी भाषा की फिल्मों को कोई खास व्यावसायिक पहचान नहीं मिली। भोजपुरी भी उनमें से एक है। भोजपुरी को अब तक हिंदी की एक बोली के रूप में पहचाना जाता रहा है, लेकिन इसे एक पूर्ण भाषा का दर्जा देने की मांग बनी हुई है। दूसरी भारतीय भाषाओं की तरह ही भोजपुरी ने भी बॉलीवुड में प्रवेश किया। यह वह दौर था जब भारतीय सिनेमा अपनी एक पहचान कायम कर चुका था। भोजपुरी में यूं तो कई सारी फिल्में बनीं, गीत लिखे गए लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड में भोजपुरी का पहला गीत कौन सा है? वह किस फिल्म का है और उसे किसने लिखा था।
बॉलीवुड में भोजपुरी का पहला गीत लिखा था मोती बीए ने। वही 'नदिया के पार' वाले मोती बीए। 'नदिया के पार' नाम लेते ही अभिनेता सचिन की फिल्म याद आती है। इस फिल्म के लिए भी गीत मोती बीए ने ही लिखे थे, लेकिन भोजपुरी गाने वाली पहली फिल्म का नाम भी 'नदिया के पार' ही था। 1948 में आई 'नदिया के पार' में अभिनेता दिलीप कुमार और अभिनेत्री कामिनी कौशल थीं। इस फिल्म का एक गीत "कठवा के नैया बनैहे रे मलहवा" हिट हुआ। इसके गीतकार मोती बीए थे। इसे स्वर दिया था ललिता देउलकर ने। इसी फिल्म का 'मोरे राजा हो, ले चल नदिया के पार' गीत सुपरहिट हुआ था
पत्रकारिता छोड़कर फिल्मों के गीत लेखन में हाथ आजमाने वाले मोती बीए हिंदी सिनेमा में भोजपुरी की एंट्री कराने वाले के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें पहली बार 'पंचोली आर्ट्स पिक्चर्स' लाहौर में फिल्मी गीत लिखने का अवसर मिला था। उन्होंने लाहौर के बाद बम्बई में रहकर कई हिंदी और भोजपुरी फिल्मों में गीत लिखे। अशोक कुमार, किशोर साहू आदि के साथ कार्य किया।
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