प्रोलिंगो न्यूज डेस्क : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल करने में वाले राज्यों में बिहार सबसे आगे दिख रहा है। सरकार ने बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढऩे-लिखने संबंधी पाठ्य-पुस्तकें बनाने की कवायद तेजी से शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के दिशा-निर्देश पर प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों द्वारा बोली जाने वाली भाषा की सूची जिलों से मांगी गई। साथ ही भाषा सूची को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को दिया गया है।गौरतलब है कि विधानसभा के बजट सत्र में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बच्चों को शिक्षा का माध्यम मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में कराने की घोषणा की थी। इसी के आलोक में मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और बज्जिका एवं उर्दू समेत अन्य क्षेत्रीय भाषा में बच्चों की पढ़ाई की मुकम्मल व्यवस्था करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। नई शिक्षा नीति के अनुसार कम से कम कक्षा पांच तक और अगर संभव हो तो कक्षा आठ तक और उसके बाद भी शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा होना चाहिए। बिहार में शिक्षा विभाग संबंधित भाषा के विद्वानों व शिक्षाविदों से पाठ्य-पुस्तकें तैयार कराने में जुट गया है।

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