प्रोलिंगो एडिटर्स डेस्क : करीब तीन साल पहले महाराष्ट्र विधानमंडल में एक ऐसा वाकया हुआ था, जो अनुवाद पर हुए विवादों में सबसे हंगामाखेज एपिसोड बन गया। विधानमंडल में बजट सत्र की शुरुआत के साथ ही विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल, तत्कालीन राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने जैसे ही अभिभाषण पढ़ना शुरू किया, विपक्षी सदस्य नाराज हो गए। वे इस बात को लेकर नाराज थे कि अभिभाषण का अनुवाद मराठी की बजाय गुजराती में था।
गुजराती अनुवाद को सूबे के 12 करोड़ मराठियों का अपमान बताते हुए विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर दिया था। शिवसेना सदस्यों ने भी इसका विरोध किया। स्थिति संभालने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने माफी मांगी थी और गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। इसके बाद सूबे के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने खुद ही अभिभाषण का मराठी में अनुवाद शुरू करना कर दिया था। लेकिन विपक्षी शिक्षा मंत्री के इस लाइव अनुवाद से संतुष्ट नहीं हुए थे और बाहर चले गए थे। राज्यपाल अभिभाषण के मराठी अनुवाद की अनुपलब्धता को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने गंभीरता से लिया था।
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