हिंदी सेवी पद्मेश गुप्त के भारत आगमन पर कार्यक्रम का आयोजन

वेब रिपोर्टर : केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली केंद्र द्वारा सुपरिचित प्रवासी साहित्यकार एवं हिंदी सेवी पद्मेश गुप्त के भारत आगमन पर उनके स्वागत में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस सम्मान समारोह सह काव्य पाठ कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रवासी साहित्य और ब्रिटेन में हिंदी के प्रचार-प्रसार में पद्मेश गुप्त का योगदान अत्यंत ही विशेष है। उन्होंने इंग्लैंड में छठे विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान संयोजक के रूप में पद्मेश गुप्त की प्रभावशाली भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि लेखन, संपादन, कार्यक्रमों के आयोजन, युवाओं को प्रोत्साहन हर स्तर पर पद्मेश गुप्त की सक्रियता का ही परिणाम है कि आज ब्रिटेन में प्रवासी साहित्य लेखन और हिंदी की स्थिति पर गर्व किया जा सकता है।
इस अवसर पर हिंदी भवन, भोपाल के निदेशक जवाहर कर्नावट ने हिंदी से जुड़े कार्यों और कार्यक्रमों के आयोजन में पद्मेश गुप्त की सक्रियता की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के आकर्षक पहलुओं को सामने रखा। राष्ट्रीय संग्रहालय की सहायक निदेशिका कथाकार-कवयित्री अलका सिन्हा ने ब्रिटेन के प्रवासी साहित्य में पद्मेश गुप्त के लेखन के महत्व और उनकी कविताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में पद्मेश गुप्त ने अपनी अनेक मर्स्पर्शी कविताओं के साथ-साथ संस्मरणों को सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस समारोह में नागरी लिपि परिषद् के हरी सिंह पाल, केंद्रीय हिंदी निदेशालय के दीपक पांडेय एवं नूतन पांडेय, संस्थान के शासी परिषद् के सदस्य एवं भाषाविद राजेशकुमार, कवि राजेश चेतन, हंसराज कॉलेज के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. विजय कुमार मिश्र सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे और इनमें से अनेक लोगों ने पद्मेश गुप्त के हिंदी के क्षेत्र में उनके योगदान पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के दिल्ली केंद्र के निदेशक प्रमोद कुमार शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार, कवि और संस्थान के प्रकाशन सलाहकार अरुण कुमार जैमिनि ने किया।
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