![]() |
हिंदी सेवी प्रवीण जैन द्वारा 10 अप्रैल 2015 को दिल्ली के मुख्यमंत्री को भेजे गए ईमेल की तस्वीर। साभार—प्रवीण जैन |
प्रोलिंगो न्यूज़ : ऊपर लिखा शीर्षक पढ़कर चौंकें नहीं। यह पंक्तियां उस पत्र के मजमून का लब्बोलुआब हैं, जो मुंबई निवासी हिंदी सेवी प्रवीण जैन दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी को गत आठ वर्ष से लिखते आ रहे हैं। प्रवीण कुमार कहते हैं कि दिल्ली सरकार के सभी कार्यालयों में राजभाषा अधिनियम 1963 का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। उनका कहना है कि आम आदमी के नाम पर बनी सरकार आम जन की भाषा की हर स्तर पर उपेक्षा कर रही है। गौरतलब है कि प्रवीण कुमार जैन की शिकायत पर ही केंद्र सरकार ने गत वर्ष कोविड की वेबसाइट अंग्रेजी के साथ ही ग्यारह भारतीय भाषाओं में तैयार कराई थी।
![]() |
हिंदी सेवी प्रवीण जैन की शिकायत पर 11 भारतीय भाषाओं में विकसित कराई गई कोविड वेबसाइट। |
आम आदमी पार्टी ने जनता की भाषा का नहीं रखा ध्यान
पेशे से कंपनी सचिव प्रवीण कुमार जैन कहते हैं कि आम आदमी पार्टी के गठन और दिल्ली में सरकार बनने के बाद उन्हें उम्मीद जगी कि शायद यह पार्टी आम आदमी की भाषा बोलेगी लेकिन पार्टी का गठन होते ही उसकी वेबसाइट और मोबाइल ऐप अंग्रेजी में तैयार कराया गया। इस संबंध में उन्होंने 28 दिसंबर 2013 को आम आदमी पार्टी को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा। इसके बाद कई अनुस्मारक भी भेजे, लेकिन पार्टी पदाधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया। वह कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने जनशिकायत के लिए अंग्रेजी वेबसाइट 'पब्लिक ग्रीवेन्सेस' शुरू की, 'ई-राशन कार्ड' वेबसाइट भी केवल अंग्रेजी बनाई, ई-शासन समिति (http://degs.org.in) बनाई जिसकी वेबसाइट, नाम और प्रतीक-चिह्न (लोगो) केवल अंग्रेजी में तैयार कराए। प्रवीण जैन का आरोप है कि आम आदमी पार्टी को जनता की भाषा की परवाह नहीं है।
हिंदी में लिखे ईमेल का अंग्रेजी में मिलता है जवाब
प्रवीण जैन कहते हैं कि 2015 के बाद वह लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को ईमेल के माध्यम से हिंदी की दुर्दशा रोकने के लिए निवेदन कर रहे हैं, लेकिन कभी कोई कारगर पहल दिल्ली सरकार ने नहीं की। उन्होेंने जब भी ईमेल लिखा तब उसकी पावती की सूचना आई, मगर वह भी अंग्रेजी में। दिल्ली सरकार की ओर से हर बार अंग्रेजी में आश्वासन मिलता है। प्रवीण कहते हैं कि देश की राजधानी में ही राष्ट्रभाषा की ऐसी उपेक्षा कष्टदायी है। दिल्ली में पहले की सरकारों ने जो भी किया, लेकिन आम आदमी के नाम पर बनी सरकार को आमजन की भाषा, राष्ट्र की भाषा की चिंता जरूर करनी चाहिए थी।
![]() |
हिंदी सेवी प्रवीण जैन की ओर से दिल्ली सरकार को लिखे गए ईमेल का जवाब अंग्रेजी में दिया गया। ईमेल का स्क्रीनशॉट। साभार—प्रवीण जैन |
राज्य सरकारों के कार्यालयों की अपेक्षा दिल्ली में हिंदी की दुर्दशा ज्यादा
हिंदी की उपेक्षा तो सर्वत्र हो रही है, फिर आपका ध्यान दिल्ली पर ही इतना ज्यादा क्यों है? इस सवाल के जवाब में प्रवीण जैन कहते हैं कि राज्य सरकारें राजभाषा अधिनियम के तहत काम कर रही हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश लगभग हर प्रदेश स्थानीय भाषा को महत्व दे रहे हैं। देश की राजधानी में हिंदी की जो दुर्गति है वैसी कहीं नहीं है। ऐसा लगता है कि दिल्ली में काले अंग्रेजों का शासन चल रहा है।
हिंदी सेवी प्रवीण जैन ने दिल्ली सरकार को अपनी पूर्व प्रेषित शिकायत के संबंध में जो अनुस्मारक भेजा है, वह निम्नवत है —
लोक शिकायतदिल्ली प्रदेश में काले अंग्रेजों की सरकार, हिन्दी का हुआ बंटाधारमहोदय,दिल्ली सरकार के सभी कार्यालयों में राजभाषा अधि. 2002 और केंद्रीय राजभाषा अधिनियम 1963 का लगातार उल्लंघन जारी है, आम जनता पर हर सरकारी कार्यालय में अंग्रेजी थोपी जा रही है-1. दिल्ली सरकार की एक भी वेबसाइट और ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी में उपलब्ध नहीं हैं।2. आम जनता के हिन्दी में लिखे आवेदनों, पत्रों व शिकायतों के उत्तर तब तक नहीं दिए जाते हैं जब तक कि वह अंग्रेजी में न हों।3. सरकारी कार्यालयों में सारी स्टेशनरी, फार्म, साइन बोर्ड, लैटरहैड, रबर मुहरें, लिफाफे आदि अंग्रेजी में तैयार करवाए जाते हैं।4. दिल्ली सरकार के अधिकारियों द्वारा हिंदी में लगे आरटीआई आवेदनों के उत्तर अंग्रेजी में दिए जाते हैं।5. दिल्ली परिवहन की बसों पर डिजिटल बोर्ड में हिन्दी भाषा का विकल्प नहीं है, टिकट अंग्रेजी में होता है जिससे अंग्रेजी न जानने वाले यात्री परेशान होते हैं।6. अंग्रेजी थोपे जाने के विरुद्ध आम जनता की शिकायतों को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय को भेज दिया जाता है पर उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।7. दिल्ली की जनता को योजनाओं की जानकारी, सरकारी सेवाएँ केवल अंग्रेजी भाषा में दी जाती हैं जिसे जनता नहीं समझती है इसलिए वे ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते।8. दिल्ली सरकार ने कोरोना काल में भी जनता पर अंग्रेजी थोपने में कोई कसर नहीं छोड़ी, कोरोना संबंधी सभी वेबसाइटें, एप, ऑनलाइन सेवाएँ अंग्रेजी में तैयार की गईं।9. कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देश व परिपत्र केवल अंग्रेजी में जारी किए गए। अस्पतालों में कोरोना संबंधी बैनर, पोस्टर, सूचनाएं, कोरोना वार्ड के साइन बोर्ड केवल अंग्रेजी में लगाए गए।10. दिल्ली सरकार के अधिकारी आम जनता से अंग्रेजी के आधार पर भेदभाव करते हैं, अंग्रेजी न जानने वाली आम जनता से भेदभाव किया जाता है।11. परिवहन बसों के टिकट, संग्रहालय, चिड़ियाघर आदि के टिकट से सिर्फ अंग्रेजी में छापे जा रहे हैं।12. योजनाओं/संस्थाओं के प्रतीक-चिह्न अंग्रेजी में बनाये जा रहे हैं।13. दिल्ली हिंदी अकादमी ने पिछले 10 वर्षों में हिन्दी भाषा के लिए कोई काम नहीं किया, इसके सभी सदस्य हिन्दी के प्रति उदासीन व निष्क्रिय हैं, जो केवल बजट को खर्च करते हैं पर दिल्ली सरकार में हिन्दी की दुर्दशा पर कभी कोई काम नहीं करते हैं।14. जहाँ पूरी दुनिया मातृभाषा में शिक्षा को बच्चों के बौद्धिक व मानसिक विकास का सर्वश्रेष्ठ माध्यम व बच्चों का मानवाधिकार मानती है वहीं दिल्ली की सरकार शासकीय विद्यालयों का अंग्रेजीकरण करके हिन्दी को सदा-2 के लिए समाप्त कर देना चाहती है। दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में हिन्दी का पठन-पाठन बंद किया जा रहा है।दिल्ली सरकार पर आम आदमी नहीं बल्कि अंग्रेजों का राज चल रहा है जो जनता का शोषण करते रहेंगे, अंग्रेजी जनता के शोषण का सबसे उम्दा हथियार है।आपके द्वारा हिन्दी में उत्तर व कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा करता हूँ।भवदीयप्रवीण कुमार जैन (एमकॉम, एफसीएस, एलएलबी)
"सरकार! आप तो भूल गए आम आदमी की भाषा"
ReplyDeleteगजब! एक से बढ़कर एक धमाकेदार खबर। ऐसे भी सरकारी दफ्तरों में हिंदी की उपेक्षा चिंतनीय है। सही कहा गया है- अंग्रेज चले गए लेकिन हिंदुस्तानियों को अंग्रेजी का झुनझुना पकड़ा गए।
Post a Comment