प्रोलिंगो न्यूज़ डेस्क : भाषाओं के जन्म लेने की कहानी हमने भले ही न सुनी हो लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि देश में दर्जनों भाषाएं मरने की कगार पर हैं। यूनेस्को द्वारा लुप्तप्राय भाषाओं की सूची में भारत की 191 भाषाएं शामिल हैं। ये भाषाएं भारत के साथ ही नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, म्यांमार एवं चीन में भी बोली जाती हैं, लेकिन इनका मूल भारत भूमि को ही माना जाता है।
भारत में कहा जाता है कि कोस—कोस पे पानी बदले, चार कोस पे बानी। सदियों से इस विविधता की साक्षी रही यह धरती भाषाई विविधता के मामले में भी समृद्ध है। भाषाई इतिहास के बारे में एक व्यापक समझ प्राचीनकालीन संस्कृत के साथ शुरू होती है और वर्तमान हिंदी तक आकर खत्म हो जाती है। हम अमूमन उन्हीं भाषाओं के अस्तित्व से परिचित हो पाते हैं जिनका इतिहास पाठ्यक्रमों में दर्ज है। लेकिन देश के अलग—अलग इलाकों में, अलग—अलग समुदायों की भाषाओं का ऐसा समृद्ध इतिहास है जो कभी कागज पर नहीं उतरा। उसका अस्तित्व तब तक ही रहा जब तक उसे कोई जुबान मिली। बाजार के विस्तार, तकनीक के विस्तार ने जिस भाषा का दामन थामा वे भाषाएं तो अपना अस्तित्व कायम रखने में सफ़ल रहीं, लेकिन जो सिर्फ लोकजुबान पर रहीं वे सिमटती चली गईं।
देश की 42 भाषाएं अत्यधिक खतरे में
यूनेस्को ने 'सुरक्षित' (खतरे में नहीं) और 'विलुप्त' के बीच भाषाओं की चार श्रेणियां बनाई हैं। ये हैं — 1. भेद्य (खतरे से आशंकित), 2. निश्चित रूप से खतरे में, 3. गंभीर रूप से खतरे में, 4. अत्यधिक गंभीर रूप से खतरे में। इस सूची में भारत की 191 भाषाओं को जगह दी गई है। विकिपीडिया पर दर्ज एक लेख के अनुसार इन भाषाओं में से भी 42 ऐसी हैं जो अत्यधिक गंभीर रूप से खतरे में हैं। इस सूची में दर्ज 42 भाषाएं हैं—
- आइमोल
- अका
- अका-जेरु
- बघाती
- बन्गानी
- बेल्लारी
- बिरहोर
- गड़ाबा
- हन्दुरी
- जरावा
- कोइरेंग
- कोरागा
- कोटा
- कुरुबा
- लामगांग
- लामोंगसे
- लंगरोंग
- लूरो
- मंडा
- मरा
- मुओट
- ना
- नेईकी
- निहाली
- ओंगे
- पांगवाली
- परजी
- पेंगो
- पू
- पुरुम
- रुगा
- सानेन्यो
- सेंटीनिली
- शोम्पेन
- सिरमौदी
- ताई नोरा
- ताई लॉन्ग
- तकाहनयीलांग
- तंगम
- तराओ
- टोडा
- टोटो
क्या होती है लुप्तप्राय भाषा
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया के अनुसार लुप्तप्राय भाषा वह भाषा होती है जो वर्तमान में अनुपयोग हो रही है और लुप्त होने के कगार पर है। ऐसी भाषा के विलुप्त होने के कुछ मुख्य कारण होते हैं जिनमें इस भाषा के लोगों की संख्या धीरे धीरे काम हो रही हो, या इसके बोलने वाले लोग अपनी भाषा को छोड़ दूसरी भाषा को ग्रहण कर रहे हों। भाषा का विलुप्त पूरी तरह तब होती है जब उसका कोई भी बोलने वाला नहीं बचता।
दुनिया की 50 प्रतिशत से ज्यादा भाषाएं आठ देशो में स्थित
विकिपीडिया पर दर्ज लेख के अनुसार दुनियाभर में बोली जाने वाली भाषाओं में से 50 प्रतिशत भाषाओं के बोलने वाले केवल आठ देशों से आते हैं। इनमें भारत सबसे शीर्ष पर है। इन देशों में भारत के बाद ब्राज़ील, मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी और कैमरून हैं। यह देश और इनके आस पास के क्षेत्र वह स्थान हैं जहाँ भाषाओँ की सबसे ज्यादा विविधता और विभिन्ता पायी जाती है।
यह तो चौंकाने वाली जानकारी है।
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