केंद्रीय हिंदी संस्थान, विश्व हिंदी सचिवालय, वैश्विक हिंदी परिवार की साप्ताहिक चर्चा आयोजित
प्रोलिंगो न्यूज़ डेस्क : हिंदी समाज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हिंदी में ज्ञान की खोज में इंटरनेट का सबसे कम प्रयोग होता है। यदि हिंदी एवं भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ना है और अपनी उपस्थिति तथा जीवंतता सुनिश्चित करनी है तो हिंदी में ज्ञान सामग्री बढ़ाना और उसे उपयोग करना ही एक मात्र व्यावहारिक उपाय है। साहित्य, मनोरंजन, गपशप किसी भाषा का भविष्य नहीं बना सकते और न भाषा की रक्षा कर सकते हैं इसलिए हिंदी में ज्ञान-सृजन, ज्ञान-विमर्श, ज्ञान-लेखन और ज्ञान की खोज को बढ़ाना होगा। यह बातें केन्द्रीय हिंदी संस्थान, विश्व हिंदी सचिवालय, वैश्विक हिंदी परिवार एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं के संयुक्त साप्ताहिक कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं भाषाकर्मी राहुल देव ने कहीं।
प्रत्येक रविवार को आनलाइन आयोजित होने वाले कार्यक्रम में गत रविवार को विषय था था “इंटरनेट पर हिंदी ज्ञान सामग्री का सृजन”। इस अवसर पर केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने कहा कि हमारे पास ज्ञान-विज्ञान की जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत विकिपीडिया है। हमारी अपेक्षा है कि विकिपीडिया भी अपनी तकनीकी प्रकिया को कुछ सहज और सरल करे ताकि अधिक से अधिक लोग इस आंदोलन से जुड़ सकें। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी का पाठक निष्क्रिय पाठक है। वह इंटरनेट पर हिंदी में काम कर रहे लोगों से अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहा है। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में हिंदी और मराठी विकिपीडिया के संपादक सुरेश खोले ने कहा कि यह मुक्त स्रोत ज्ञानकोष हम सबकी साझा संपत्ति है। विकिपीडिया के वरिष्ठ प्रबंधक प्रवीण दास ने कहा कि विश्व के कई करोड़ स्वयंसेवकों, दो लाख अस्सी हजार अवैतनिक संपादकों के अथक प्रयासों से विश्व की अनेक भाषाओं में ज्ञान एवं सूचनाओं का विश्वसनीय कोषागार विकीपीडिया सबका ज्ञानवर्धन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज हमारे प्लेटफार्मों पर लगभग 300 भाषाओं में करोड़ों पेज हैं। यह एक गैर लाभकारी वैश्विक परियोजना है।
साहित्यिक पत्रिका गर्भनाल के संपादक डॉ. आत्माराम शर्मा ने कहा कि विकिपीडिया पर हिंदी के दो लाख से अधिक पेज हैं और हमारी मुख्य चिंता यही है कि हम कैसे हिंदी की ज्ञान सामग्री इंटरनेट के विभिन्न मंचों पर कैसे बढ़ाएं। विकी आंदोलन के वरिष्ठ सहयोगी अनिरुद्ध ने जानकारी दी कि विकिपीडिया प्रकल्प से कोई भी जुड़ सकता है। पेज सृजन की नीतियों का खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि आप अपने खुद का पेज नहीं बना सकते बल्कि यह किसी विशद् सोच एवं विचार पर आधारित पेज होना चाहिए जो निजी न होकर ज्ञान कोश में कुछ संवर्धन करने के लक्ष्य से सृजित हुआ होना चाहिए। आप अपना या अपने घर का पेज नहीं बना सकते किंतु आप अपने गाँव और उसकी विशेषताओं का उल्लेख करते हुए पेज बना और अपलोड कर सकते हैं।
प्रमुख तकनीकीविद् एवं हिंदी कंप्यूटिंग के विद्वान बालेन्दु दाधीच कहा कि विकिपीडिया पर निजी पेज न बनाने की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए और प्रसिद्ध व्यक्तियों, लेखकों, ब्लॉगरों आदि के पेज हटाने संबंधी नीतियों पर कुछ हटकर उदारता से विचार होना चाहिए। पद्मेश गुप्ता ने कहा कि जानकारी जोड़ने की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए। इस अवसर पर भारतकोश के आदित्य चौधरी, ललित मोहन जोशी, सुनीता पाहूजा, डॉ. बरुण कुमार, अथिला कोथला आदि ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेश कर्नावट ने किया। अतिथि वक्ताओं एवं श्रोताओं का स्वागत प्रो. अनुपम श्रीवास्तव ने एवं आभार ज्ञापन डॉ. संध्या सिंह ने किया।
भारतीय भाषाओं को अंग्रेजी के समान १००प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का समय आ गया है क्या?
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